कान के रोगो का उपचार
कान हमारे शरीर का वो महत्वपूर्ण अंग है या ज्ञानेन्द्रिय है, जिसके मदद से हम किसी चीज की ध्वनि सुनते है तो उस ध्वनि का चित्र हमारे मस्तिष्क पटल पर सीधा छप जाता है। जिसकी सुनने की शक्ति नहीं है वह जीवन की बहुत सारी पहलू से अंजान है, हालाकि श्रवण शक्ति के बिना भी जीवन संभव है फिर भी बहरेपन या कोई भी कान की बीमारी हो तो हमारे जीवन मे उस चीज का प्रभाव दिखता ही है। तो ऐसे ही जिन लोगो को बहरेपन या कान से संबन्धित कोई भी समस्या हो तो नीचे दी गयी जानकारी से आसानी से ठीक कर सकते है।
कान के रोगो का उपचार
बहरापन
- अखरोट, दशमूल या कड़वी बादाम के तेल की बूंदे कान मे डालने से बहरेपन मे लाभ होता है।
- करेले की बीज, काला जीरा दोनों को समान मात्रा मे मिलाकर पानी मे पीसकर उसके रस की दो-दो बूंदे दिन मे दो बार कान मे डालने से बहरेपन मे फायदा होता है।
- ताजे गो-मूत्र मे एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर हर रोज कान मे डालने से आठ दिनो मे ही बहरेपन मे फायदा होता है।
- आंकड़े के पके हुये पीले पत्ते को साफ करके उस पर सरसों का तेल लगाकर गर्म करके उसका रस निकालकर दो-तीन बूंद रोज सुबह शाम कान मे डालने से बहरेपन में लाभ होता है।
- आवाज कम सुनाई देता हो तो कान मे पंच गुण तेल की 3-3 बूंदे दिन मे तीन बार डाले।
कान का दर्द
- अगर कान मे दर्द हो रहा हो तो अदरक का रस कान मे डालने से कान के दर्द, बहरेपन और कान के बंद होने पर लाभ मिलता है।
कान मे मवाद होने पर
- फुलाए हुये सुहागे को पीसकर कान मे डालकर ऊपर से नींबू के रस की बूंद डालने से मवाद निकलना बंद होता है। और अगर मवाद सर्दी से है तो सर्दी मिटाने का उपाय करे।
कान मे आवाज होने पर
- लहसुन एवं हल्दी को एकरस करके कान मे डालने पर लाभ होता है। यह प्रयोग कान बंद होने पर भी कर सकते है।
कान मे कीड़े जाने पर
- दिये के नीचे जमा हुआ तेल अथवा शहद या अरंडी का तेल या फिर प्याज का रस कान मे डालने पर कीड़े निकल जाते है।
कान के सामान्य रोग
- सरसों या तिल के तेल मे तुलसी के पत्ते डालकर धीमी आंच पर रखे, पत्ते जल जाने पर उतारकर छान ले इस तेल की दो चार बूंदे कान मे डालने से सभी प्रकार के कान दर्द मे लाभ होता है।
- ताजा मुली का रस शहद और सरसों का तेल तीनों बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से मिलाकर दो-चार बूंद दिन में चार बार कान मे डालने से श्रवण शक्ति बढ़ती है।
- श्योनाक के छाल को कूटकर लगभग 100 ग्राम छाल मे 100 ग्राम सरसों का तेल डालकर धीरे धीरे पकाये, पकने के बाद जब छाल पककर के लाल सुर्ख हो जाये, सरसों का तेल रह जाए तो उसको छान करके कान मे डाले कान की कोई भी समस्या हो उसमे यह लाभकारी है।
- अगर बहरेपन की स्थिति है तो रोज दालचीनी का तेल रात को सोते समय कान मे डाले कुछ ही दिनो मे लाभ मिलेगा।
कान की सफाई को लेकर आजकल लोग मार्केट से उपलब्ध ईयरबड की गलत प्रयोग कर अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर जाते है जाने कैसे
हमारे कान का पर्दा इतना नाजुक होता है की प्रकृति ने इसकी सुरक्षा का खास इंतजाम किया है कान के रोगो कान का पर्दा ईयर के नाल मे छुपा होता है साथ ही साथ ईयर के नाल मे ईयर वैक्स नाम का एक चिपचिपा पदार्थ भी होता हैं, ईसी चिपचिपे पदार्थ को लोग कान का मैल कहते है। जबकि यह मैल नही बहुत काम की चीज है इस वैक्स के कारण ईयर के नाल की स्कीन थोड़ी नम और चिपचिपी रहती है इस वजह से कान के अंदर पाहुचने वाली धूल और अन्य कण चिपक जाते है इस कारण ये कण कान के पर्दे तक नहीं पहुच पाते और इस प्रकार यह ईयर वैक्स हमारे कान को इन्फैक्सन से बचाती है। पुरानी वैक्स को हमारा कान अपने आप ही बाहर की ओर धकेल देता है और ये हमारे बिना जाने ही बाहर गीर जाते है। लोग मानते है ईयरबड कान की सफाई के लिए बना है परंतु यह यह हमारे कान के लिए काफी खतरनाक होती है। अगर आप ईयरबड की रेपर मे देखेंगे तो छोटे बारीक शब्दो मे लिखा होता है की not to used inside the ear मतलब कान के अंदर नही डालना है। ईयरबड का इस्तेमाल सिर्फ बाहरी हिस्से की सफाई के लिए ठीक है कान की सफाई की कोशिश मे ईयर की नाल मे डाली गयी वस्तुये ईयर वैक्स को निकालने के बजाये उसे धकेल कर ईयर के नाल मे और अंदर धसा सकती है ज्यादा साफ करने की कोशिश मे ईयर के नाल की स्कीन मे ज़ख़म या इन्फैक्सन भी हो सकता है यहा तक की कान का पर्दा भी फट सकता है। हा किसी किसी केश मे ईयर वैक्स ज्यादा इकट्ठा होकर ईयर की नाल मे फस सकती है इस वैक्स इन्फैक्सन से मरीज को कई तरह की दिक्कत आ सकता है जैसे की कान बंद लगना, सुनने मे तकलीफ, खुजली, कान का दर्द, कान बजना इत्यादि। कान की सफाई के लिए आजकल ऑनलाइन कई अजीब तरह की चिजे मशीन या वोकयुम पंप इत्यादि मिलते है पर याद रखे ये सब भी आपके कान को नुकसान पाहुचा सकते है। और हा बच्चो के कान तो और भी नाजुक होते है उसके कान के सफाई के चक्कर मे और भी न पड़े।